और ना मिलने पर
मैंने बना ली थी एक धारणा
कि आसान नहीं है इस युग में
एक अच्छा गुरु मिल पाना.
पर मैं अबोध ये कहाँ जानती थी
कि हर रोज मैं मिल रही हूँ
कई गुरुओं से
जो रूबरू करवा रहें हैं मुझे
जीवन के अनभिज्ञ पहलुओं से.
मेरी असफलताएं
क्या नहीं हैं मेरी शिक्षक
उन्होंने ही तो मुझे दिखाई है
मेरी वो कमियां
जहाँ सुधार कर चढ़नी है
मुझे सफलता की सीढियां.
ये प्रकृति
ये तो सबसे बड़ी गुरु है
जिसके हर कण-कण में बिखरी है
ज्ञान की कड़ियाँ
जिन्हें जोड़कर बनती है
रोशनी की एक नयी दुनिया.
हमारे जीवन से जुडा हर व्यक्ति
हमारा शिक्षक ही तो है
क्योंकि हर कोई हमें कुछ नया
सिखा जाता है
एक दगाबाज भी हमें सच्चाई
दिखा जाता है.
आज मेरी तलाश खत्म हो गयी है
किसी एक गुरु की मुझे जरुरत नही है
मुझे सीखना है जीवन के हर क्षण से
मुझे पाना है ज्ञान प्रकृति के कण कण से.
👌👍👌👍👌👍👌👍👌👍👌👍👌👍👌
गुरु के आगे सब कम हैं
वो बनाता जीवन हैं.......
वरना जीवन मे तो बस
गम ही गम हैं.............
गुरु उठाता हमे गंदे ढेर से
करता हैं साफ बड़े दिल से
बनता हैं सबकी गोद के
योग्य हमे........
करता सफाई मनोयोग से
करके सफाई बनाता हैं अपने समान
भरता विचार ज्ञान के
तीर समान............
करता खड़ा वो दुखो मे हमे
भीतर से देता सहारा हमे
गुरु की महिमा गाने को
जुबा बहुत ये छोटी हैं
अंदर से ये रोम रोम
मेरा हरदम गुरु का
हैं ये ऋणी..
👌👍👌👍👌👍👌👍👌👍👌👍👌👍👌
मैंने बना ली थी एक धारणा
कि आसान नहीं है इस युग में
एक अच्छा गुरु मिल पाना.
पर मैं अबोध ये कहाँ जानती थी
कि हर रोज मैं मिल रही हूँ
कई गुरुओं से
जो रूबरू करवा रहें हैं मुझे
जीवन के अनभिज्ञ पहलुओं से.
मेरी असफलताएं
क्या नहीं हैं मेरी शिक्षक
उन्होंने ही तो मुझे दिखाई है
मेरी वो कमियां
जहाँ सुधार कर चढ़नी है
मुझे सफलता की सीढियां.
ये प्रकृति
ये तो सबसे बड़ी गुरु है
जिसके हर कण-कण में बिखरी है
ज्ञान की कड़ियाँ
जिन्हें जोड़कर बनती है
रोशनी की एक नयी दुनिया.
हमारे जीवन से जुडा हर व्यक्ति
हमारा शिक्षक ही तो है
क्योंकि हर कोई हमें कुछ नया
सिखा जाता है
एक दगाबाज भी हमें सच्चाई
दिखा जाता है.
आज मेरी तलाश खत्म हो गयी है
किसी एक गुरु की मुझे जरुरत नही है
मुझे सीखना है जीवन के हर क्षण से
मुझे पाना है ज्ञान प्रकृति के कण कण से.
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गुरु के आगे सब कम हैं
वो बनाता जीवन हैं.......
वरना जीवन मे तो बस
गम ही गम हैं.............
गुरु उठाता हमे गंदे ढेर से
करता हैं साफ बड़े दिल से
बनता हैं सबकी गोद के
योग्य हमे........
करता सफाई मनोयोग से
करके सफाई बनाता हैं अपने समान
भरता विचार ज्ञान के
तीर समान............
करता खड़ा वो दुखो मे हमे
भीतर से देता सहारा हमे
गुरु की महिमा गाने को
जुबा बहुत ये छोटी हैं
अंदर से ये रोम रोम
मेरा हरदम गुरु का
हैं ये ऋणी..
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